मसालो की दुनिया के बादशहा एमडीएच
इस दुनिया मे असंभव कुछ भी नही है, यदि इंसान चाहे तो आसमान को झुका सकता है. अपने आस पास ऐसे अनेक व्यक्तित्व है जो हमे इस बात का प्रमाण देते है. मसालो की दुनिया के बादशाह महाशय धर्मपाल गुलाटी एक ऐसा ही नाम है. गुलाटी जी ने अपने मेहनत से आसमान पर अपना नाम लिख दिया है. 3 दिसंबर 2020 को उनका देहांत हो गया. आज हम जानते है MDH success story विस्तार से.
तांगे वाले से बने ‘Masala King’
गुलाटी जिने शून्य से सुरुवात की. वे सियालकोट से जेब में 1500 रुपये लेकर चले थे. वही उनकी जमा-पूंजी थी. उसमें से 650 रुपये का उन्होंने एक तांगा और घोड़ा खरीद लिया और तांगा वाला बन गए. वे न्यू दिल्ली स्टेशन से क़ुतुब रोड और करोल बाग़ से लेकर बड़ा हिंदू राव तक तांगा चलाते थे. दो महीने बाद उन्होंने तांगा बेच दिया और प्राप्त पैसों से लकड़ी का खोका खरीद कर अजमल खान रोड, करोल बाग़ में एक छोटी सी दुकान बनवा ली. उसी दुकान में उन्होंने मसालों MDH masala story का अपना पुश्तैनी धंधा फिर से शुरू कर लिया. अपनी इस दुकान का नाम उन्होंने “महशिआन दि हट्टी – सियालकोट वाले” रखा.
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MDH success story
MDH या महाशिअन दी हात्ती लिमिटेड भारतीय मसालो और मिश्रण के उत्पादक, वितरक और निर्यातक है. खाने में उपयुक्त बहोत से मसालो के निर्माण में इनका एकाधिकार है. MDH कंपनी की स्थापना 1919 में महाशय चुनी लाल ने सियालकोट में एक छोटी दुकान खोलकर की। तभी से वह पुरे देश में बढ रहा है, और कई देशो में भी उनके मसालो का निर्यात किया जा रहा है.
मसाले की कहानी
दिल्ली मे अपनी छोटी दुकान शुरू करने के बाद गुलाटी जिने पीछे मुडकर नही देखा. पूरी मेहनत से मसाला कूटने और मिर्च पीसने का कार्य करने लगे. धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी. जैसे-जैसे लोगों को पता चलता गया कि ये वही सियालकोट के दिग्गी मिर्च वाले है, वे उनकी दुकान पर मसाले खरीदने आने लगे. साथ ही उनके बनाए मसालों की Quality भी इतनी अच्छी थी कि लोगों का उन पर भरोसा बढ़ता गया. अखबारों में दिए गए विज्ञापनों से भी उनके बनाये मसाले मशहूर होने लगे और उनका व्यापार बढ़ता चला गया.
विश्व मे प्रसिद्ध MDH का कारोबार
गुलाटी जिने धीरे धीरे अपनी मेहनत जारी रखी जिसका परिणाम यह हुआ उन्होंने दिल्ली में अपनी मसालों की फैक्ट्री खोल ली. उसके बाद उनके मसाले पूरे भारत में और बाहर के देशों में export होने लगे. आज उनका “महशिआन दि हट्टी” MDH एक बहुत बड़ा ब्रांड है. वे MDH के प्रबंध निदेशक और brand ambassador थे. MDH विश्व के 100 से अधिक देशों में अपने 60 से अधिक product की supply करता है. उनके Top 3 Product है – देग्गी मिर्च, चाट मसाला और चना मसाला. कंपनी का total revenue 924 करोड़ रुपये के करीब हो चुका था.
महाशय धरमपाल गुलाटी का इतिहास
महाशय धरमपाल गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ. उनके पिताजी महाशय चुन्नीलाल और माताजी माता चनन देवी लोकोपकारी और धार्मिक थे और साथ ही वे आर्य समाज के अनुयायी भी थे. 1933 में, 5 वी कक्षा की पढाई पुरी होने से पहले ही उन्होंने स्कूल छोड़ दी थी. महाशयजी की सफलता के पीछे के कठिन परीश्रम को जानते है, उन्होंने अपने ब्रांड MDH का नाम रोशन करने के लिए काफी महेनत की। और आज MDH ब्रांड मसालों के भारतीय बाज़ार में १२ % हिस्से के साथ दुसरे क्रमांक पर विराजमान है.
MDH success story का राज
महाशयजी के पास अपनी विशाल सफलता का कोई रहस्य नही है. उन्होंने तो बस व्यवसाय में बनाये गए नियमो और कानूनों का पालन किया और आगे बढ़ते गए, व्यवसाय को आगे बढाने के लिए उनके अनुसार ग्राहकों को अच्छी से अच्छी सेवा के साथ ही अच्छे से अच्छा उत्पाद मिलना भी जरुरी है. उन्होंने अपने जीवन में अपने व्यवसाय के साथ ही ग्राहकों का भी ध्यान रखा है. मानवता की सेवा करने से वे कतई नही चूकते, वे हमेशा धार्मिक कार्यो के लिये तैयार रहते है.
महाशय धरमपाल गुलाटी जी की मृत्यु
मसालों के दुनिया के बादशाह महाशय धरमपाल गुलाटी ने 3 दिसंबर 2020 की सुबह 5.30 को आख़री साँस ली. आज की नयी पीढ़ी के लिए महाशयजी ने एक बेहतरीन उदाहरण रखा है जिसे देखकर सभी युवा व्यापारी और entrepreneurs को उनके नक़्शे कदम पर चलना चाहिए. मसालोंके विशाल व्यापार को कुशलता से संभालने के साथ ही उन्होंने समाज के प्रति अपने कर्ताव्यो को भी निभाया है. अपने व्यापार के साथ साथ उन्होने देश का नाम रोशन किया है. मसाले व्यापार के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है.
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This is awesome 👍 thanks for uploading such a inspirational story.